22 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस
आधुनिक गणित को आज इतना आगे बढ़ाने में इंडिया का बहुत बड़ा हाथ है। दशमलव संख्या प्रणाली के आविष्कार से लेकर ‘जेरो’ की खोज तक हमे इंडिया की छाप आसानी से देखने को मिलती है। माना जाता है ‘जेरो’ की खोज आधुनिक गणित को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी और सबसे महत्व पूर्ण खोज थी। जिसकी खोज आर्यभट्ट और ब्रह्मगुप्त ने की थी।
2011 में प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया था। ऐसा उन्होंने भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वी वर्षगाँठ मानते हुए किया था। श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 1887 में तमिलनाडु के इरोड में एक तमिल ब्राह्मण अयंगर परिवार में हुआ था। गणित के आलावा किसी और विषयो में दिलचस्पी न लेने कारण वह 12 की परीक्षा में फ़ैल हो गये थे। माना जाता है जिस स्कूल में वह 12 की परीक्षा में दो बार फ़ैल हुए थे उसी स्कूल का नाम आज रामानुजन के नाम पर है।
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लोगो का कहना है की मात्रा 12 साल की उम्र में ही रामानुजन ने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर चुके थे। कई गणित प्रमेय का उन्होंने अविष्कार किया। बहुत से कई फॉर्मूले भी बनाये , बेहद काम उम्र में ही उन्होंने अपने गणित का जादू दुनियाभर में फैला दिया था। उन्ही के कारण आज हम गणित को आसानी से हल कर पाते है। रामानुजन के जाने बाद भी पूरा देश आज भी उन पर गर्व करता है। उन्होंने मैथ्स को खुद के बल बुते पर सीखा बिना किसी तरह की ट्रेनिंग लिए बिना। यह सब उनके जुनून का और रूचि का की कमल है जिस कारण आज दुनिया भर में अपना नाम कमाया है। उनके जीवन से हमें काफी कुछ सिखने को मिलता है। तकनिकी प्रगति को आगे बढ़ाने और वैज्ञानिको की सफलताओ को बढ़ावा देने में मैथ्स का बहुत बड़ा हाथ है। हमे गणित के ज्ञान और उसके इस्तेमालो को प्रोत्साहित जरूर करना चाहिए।